आष्टांग योग

आष्टांग योग पद्धत्ति में यम नियम, षटकर्म एवं आसनों के अभ्यास के बाद इसे किया जाता है। वस्तुतः योग का अभ्यास तब आरम्भ होता है जब हम प्राणायाम की श्रृंखला में प्रवेश करते हैं। प्राणायाम का उद्देश्य स्थूल से सूक्ष्म, अन्नमय कोष से आनन्दमय कोष की ओर संतुलित और क्रमिक गति से बढ़ना है।
पतंजलि योग को राज योग कहा जाता है। उसके आठ अंग है। प्राणायाम उसका चौथा महत्वपूर्ण अंग है। जीवन में स्वस्थ रहकर आनन्द पूर्वक जीने के लिये ऋषियों द्वारा दी गई यदि कोई चमत्कारिक बूटी है तो उसका नाम है प्राणायाम। स्वस्थ रहने के लिये प्राणायाम को जीवन का अंग बनाना अत्यन्त आवश्यक है।